मेरी भावनाएं.../कंचनलता चतुर्वेदी
Friday, 23 September 2016
कविता
देख ये थी मेरी दुनिया,
हम मिलकर रहते थे।
हम सब अपने थे,
'मैं' से दूर रहते थे
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