Sunday 1 November 2020

मुक्तक

01/11/2020
नमन मंच
2122/ 2122/ 212
बस दिलों में अब सताना छोड़कर।
सब को' हैं जाना खजाना छोड़कर।
बद दुआ ना अब किसी की भी मिले,
प्रेम धन बांटो बहाना छोड़कर।
कंचन लता चतुर्वेदी
वाराणसी

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