नही द्वेष है नही भेद है नही मद दिखलाते
परोपकार में जीवन निधि को सूर्य देव है लुटाते।
प्रकृति नष्ट न करता मानव न विषम दाह बरसाते
विरहणी बन धरा विलखती व्यथा गीत खग गाते।
तुम भी सीखो हे मानव! अक्षय स्रोत बतलाते
हरियाली उपहार धरा की लोक निमित्त ही आते।
जड़ चेतन में नव जोश जगाते अपना धर्म निभाते
गहन तिमिर से लड़कर विजय पथ दिखलाते।
परोपकार में जीवन निधि को सूर्य देव है लुटाते।
प्रकृति नष्ट न करता मानव न विषम दाह बरसाते
विरहणी बन धरा विलखती व्यथा गीत खग गाते।
तुम भी सीखो हे मानव! अक्षय स्रोत बतलाते
हरियाली उपहार धरा की लोक निमित्त ही आते।
जड़ चेतन में नव जोश जगाते अपना धर्म निभाते
गहन तिमिर से लड़कर विजय पथ दिखलाते।
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