Sunday 4 October 2020

मुक्तक


1222  1222   1222  1222
जहां ईमान बिकता है वहां आचार क्या देखें।
जहां दूषित रहे परिवेश तो सत्कार क्या देखें।
नशा में लत नहीं इज्जत नहीं दिखता भला मानुष,
वहां हम प्रेम या विश्वास या अधिकार क्या देखें।

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