Wednesday, 19 February 2020

कुण्डलिया


काले- काले केश हैं,उनमे सजा गुलाब।
पैरों में पाजेब हैं,बैठी है बेताब।।
बैठी है बेताब,और उर -उपवन सूना।
मिलन-विरह ले हृदय,दर्द उपजा है दूना।
श्वेत वसन मोहिनी,कैसे घड़ा संभाले।
देखे पी की बाट, नैन ये काले काले।

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