मेरी भावनाएं.../कंचनलता चतुर्वेदी
Wednesday, 19 February 2020
दोहे
काम,क्रोध,मद लोभ से,बोलो छूटा कौन।
क्रोध अग्नि जब भी जले, उस पल बैठो मौन।।
वीरो की रणभूमि है,पावन मेरा देश।
वीर धीर त्यागी यहाँ, सुंदर है परिवेश।।
जीवन की रण भूमि में,कभी न मानो हार।
बना रहे यदि हौसला,होगी नैया पार।।
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