जय माँ शारदे
दोहा गीत
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कहता मन भौरा बनूं , गाऊँ मीठे गीत।
बांटू सबको प्रेम रस , बनूं सभी का मीत।
कली-कली मँडरा रहा , और सुनाता गीत,
हँसने लगते फूल तब , देख मधुप की प्रीत।
कलियाँ मेरी दोस्त हैं , फूलो से हैं प्यार,
बहिनें मेरी तितलियाँ , मैं हूँ पहरेदार।
तन से काला वो दिखे , पर उजली है प्रीत।
कहता मन भौरा बनूं , गाऊँ मीठे गीत।
उपवन उपवन घूमता , सदा लुटाता नेह,
सच्चा प्रेमी मधुप है , करो नही सन्देह।
रूप रंग गुण अलग है , रहता फूलों संग,
नेह लुटाता ये मधुप , चूम चूम ये अंग।
समझो रे मन बावरा , कैसी जग की रीत।
कहता मन भौरा बनूं , गाऊँ मीठे गीत।
गुन गुन गाये गीत वो, मन का भेद मिटाय,
भौरा कहता प्रीत कर , प्रेम-सुधा बरसाय।
जगत करम का खेत है , जो बोए सो पाय,
प्रेम भाव से सींच ले , नाही तो पछताय।
अपनेपन का लोप है , रिश्ते कहाँ पुनीत।
कहता मन भौरा बनूं , गाऊँ मीठे गीत ।