Sunday, 12 January 2020

दोहा गजल

जय माँ शारदे
दोहा गजल

शुद्ध हवा पानी मिले , ऐसा मेरा गाँव।
साथ रहे परिवार सब , ऐसा मेरा गाँव।।

मस्त मगन हो घूमते , पंख पसारे मोर,
गाती मीठी कोकिला , ऐसा मेरा गाँव।

मिट्टी में खुशबू बसी , शीतल बहे बयार,
कल कल बहती है नदी , ऐसा मेरा गाँव।

छूकर जाते पैर को , कहे चरण में धाम,
मात-पिता आशीष दे , ऐसा मेरा गाँव।

मेरी दादी प्यार से , कहे कहानी रोज,
सोते आँचल छाँव में , ऐसा मेरा गाँव।

संस्कार की पोटली , मिलती है भरपूर
मिलजुल कर रहते सभी , ऐसा मेरा गाँव।

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