मेरी भावनाएं.../कंचनलता चतुर्वेदी
Sunday, 12 January 2020
दोहे--तन ,मन,धन
1-तन
माया में उलझो नहीं , राम नाम धन लूट।
हंस उड़े तन छोड़ के , जाता सब कुछ छूट।।
2-मन
देख न गलती और की , अपने मन में झांक।
अपना मन दर्पण बना , खुद अपने को आंक।।
3-धन
धन-वैभव जब पास हो , तभी सुखद संसार।
लालच धन जब भी बढ़े , उर में उपजे रार।।
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