जौ उपजाता खेत में,जीवन का आधार।
मेहनत से करते सदा,सब पर ही उपकार।।
सुबह सबेरे ये उठे,सुन चिड़ियों का शोर।
बैलो की जोड़ी लिए,चले खेत की ओर।।
सूखा पड़ता है कभी,कभी हुई अतिवृष्टि।
रोवे हलधर भाग्य पर,लेकर व्याकुल दृष्टि।।
धूप,शीत सहता सदा,मैं तो एक किसान।
भरता सबका पेट मैं, नहीं करूँ अभिमान।।
यह धरती कुरुक्षेत्र है,खेती करे किसान।
जाल रचा अतिवृष्टि ने,खाली है खलिहान।।
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