1-
मत काटो तुम वृक्ष को,ये जीवन के अंग।
इनके बिन जीवन कहाँ, भरते यही उमंग।
2-
प्रकृति सम्पदा हैं बड़ी,इसको पल पल तोल।
श्वास बिना सुन हे मनुज,क्या जीवन का मोल।।
3-
हे मानव नादान तू,मत जीवन को भूल।
धरती से यदि तरु हटे, होगा नष्ट समूल।।
4-
धरती के शृंगार है,इनसे कर लो प्यार।
वृक्षों ने हमको दिया,ये सुंदर संसार।।
5-
पेड़ कटे जीवन घटे, नहीं मिले सुख धाम।
पेड़ बढ़े जीवन मिले, करें पथिक विश्राम।।
6-
मेघ प्रीत बरसा रहा,जैसे हो उपहार।
सज जायेगी अब धरा,कर नूतन शृंगार।।
7-
गीत सलोने गा रहे,मेघ सजायें साज।
सात सुरों के साथ हैं,बारिश बूँदे आज।।
8-
नहीं प्रकृति हैं जल बिना,नहीं सकल संसार।
पानी बिन जीवन कहाँ, जल जीवन आधार।।
9-
नदियाँ परहित में बहे,नहीं करें अभिमान।
पशु पक्षी इंसान को,जीवन करे प्रदान।।
10-
पानी बिन सब सून है,नदियाँ बनती रेत।
जल जीवन आधार है,मानव रहो सचेत।।
सच प्रकृति जीवन आधार है मानव का
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रेरक प्रस्तुति