07/06/2020
चित्राक्षरी लेखन
पढ़े बढ़े अब बेटियाँ, बदले और समाज।
शान बने इस देश की,इनके सिर हो ताज।।
खुशबू है ये फूल की,सात सुरों का साज।
इंद्रधनुष-सा रूप है,ये धरती का ताज।।
ये मीठी मुस्कान हैं,लक्ष्मी का वरदान।
जिस घर से अनजान है,उस घर की पहचान।।
अगर न होती बेटियाँ, थम जाता संसार।
सृष्टि कहाँ इनके बिना,इनसे घर परिवार।।
खुशबू है ये फूल की,सात सुरों का साज।
ReplyDeleteइंद्रधनुष-सा रूप है,ये धरती का ताज।।.. लाजवाब सृजन 👌