Saturday 22 August 2020

कुछ यूं ही

जब हम पहली बार मिले थे।
इन अधरों पर फूल खिले थे।
एक झलक ने ऐसा छेड़ा
मेरे दिल के तार हिले थे।

दिल की घण्टी खूब बजी थी।
नैनो में बस प्रीत सजी थी।
साजन तेरी खातिर मैं तो,
निज बाबुल का गेह तजी थी।

1 comment:

  1. मधुर यादें मधुर क्षणों में ताजगी भर देते हैं
    बहुत खूब!

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