Thursday 20 August 2020

मुक्तक

मुक्तक
122  122  122  122
न हमसे करो इस तरह तुम किनारा।
चलो हम बनें दूसरे का सहारा।
यहाँ छोड़कर सब है जाना सभी को,
नहीं कुछ तुम्हारा नहीं कुछ हमारा।


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