Monday, 13 April 2020

गजल


एक कोशिश
2122  1212  22

मैं हृदय में उसे बसाता हूँ।
पीर किससे कहूँ छुपाता हूँ।
ऐ खुदा ऐतबार करना तू,
दर्द लिखकर गजल सुनाता हूँ।
जिंदगी ये बिखर गयी ऐसे,
आरजू अब नहीं सजाता हूँ।

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