मेरी भावनाएं.../कंचनलता चतुर्वेदी
Thursday, 9 April 2020
भ्रूण हत्या पाप है
हत्या भ्रूण की पाप है,इससे बड़ा न पाप।
सुता-सुवन अंतर नहीं,समझो इसको आप।।
रचती है ये सृष्टि को,होती कुल की शान।
ये आँचल की छाँव है,रखती सबका मान।।
तुलसी आँगन की लगे,बेटी शीतल छाँव।
रक्षा करना ईश तुम,कांटा गढ़े न पांव।।
कंचन लता चतुर्वेदी
09/04/2020
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