विधा-दोहा
श्याम वर्ण गोपाल जी , बालरूप भगवान।
सूरदास जी कर रहे , मोहन का गुणगान।।
मनमोहक छवि श्याम की , मुख पर है मुस्कान।
मोर मुकुट औ पीत पट , कुण्डल शोभे कान।।
कृष्ण भक्ति में लीन है , दिखे प्रेम अनुराग।
ध्यानमग्न हो गा रहे , सुख वैभव सब त्याग।।
भक्ति भाव में लीन है , सूरदास जी संत।
बालरूप वर्णन किये , जिनकी कृपा अनंत।।
बहती धारा प्रेम की , भले नेत्र से सूर।
रामकली में पद रचे , भक्ति भाव भरपूर।।
बहती धारा प्रेम की , भक्ति भाव में डूब।
सूरदास वर्णन किये , बालरूप का खूब।।
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