Sunday, 19 April 2020

बचपन


छोटे छोटे पैर हैं , छोटे छोटे हाथ।
लाठी लेकर चल रही , गगरी रख कर माथ।।

दिखने में छोटी लगे , काम करे गम्भीर।
बजा रहे सब तालियां , कोइ न देखे पीर।।

मात-पिता की लाडली , दिखा रही है खेल।
भरती इससे पेट ये , जीवन गर्त ढकेल।।

जिनके हाथों चाहिए , कॉपी कलम दवात।
उनको चिंता भूख की , सता रही दिन- रात।।

छोटी सी ये जान है , करती बड़ा कमाल।
बचपन क्यों मजबूर है , करती लता सवाल।।


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