Wednesday 27 March 2019

माँ

माँ
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हम शब्द है
तो वो भाषा है
हम झरने है
तो वो समुन्दर है
हम छंद है
तो वो कविता है
हम लव-कुश है
तो वो सीता है
हम मस्तक है
तो वो ताज है
हम सुर है
तो वो साज है
भावना एहसास है
खुशबू का आभास है
जगत की धूरी है
उस बिन कल्पना अधूरी है
खुशियों की फुलवारी है
आनंद की किलकारी है
वो रब के जैसा है
प्रेम अपनापन ऐसा है
माँ सबसे न्यारी है
हमारे जीवन की क्यारी है
की थी अपनी खुशियां कुर्बान
माँ के लिए रखना ह्रदय में
सदा सम्मान * * * * *

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