Wednesday 29 April 2020

ऋण पर दोहा


दबो नहीं तुम ऋण तले , इसका घातक भार।
छिन जाता सुख चैन सब , फिर जीवन बेकार।।

Sunday 26 April 2020

श्री कृष्ण और सूर


विधा-दोहा
श्याम वर्ण गोपाल जी , बालरूप भगवान।
सूरदास जी कर रहे , मोहन का गुणगान।।

मनमोहक छवि श्याम की , मुख पर है मुस्कान।
मोर मुकुट औ पीत पट , कुण्डल शोभे कान।।

कृष्ण भक्ति में लीन है , दिखे प्रेम अनुराग।
ध्यानमग्न हो गा रहे , सुख वैभव सब त्याग।।

भक्ति भाव में लीन है , सूरदास जी संत।
बालरूप वर्णन किये , जिनकी कृपा अनंत।।

बहती धारा प्रेम की , भले नेत्र से सूर।
रामकली में पद रचे , भक्ति भाव भरपूर।।

बहती धारा प्रेम की , भक्ति भाव में डूब।
सूरदास वर्णन किये , बालरूप का खूब।।

Saturday 25 April 2020

दोहे

1-जनम-मरन
जीव- वृक्ष गति एक है,लेते जन्म नवीन।
जनम-मरन पुनि पुनि रहे,होकर मृत्यु अधीन।।

2-सत्ता
सत्ता लोभी लालची , करते अत्याचार।
झोली भरते झूठ से , जाकर सबके द्वार।।

3-अत्याचार
अब भी राक्षस हैं यहाँ , करते अत्याचार।
नहीं डरे निज कर्म से , करे संत पर वार।।

४-संत
संग्रह कर तू प्रेम धन , समझ और की पीर।
नेक कर्म सबसे बड़ा , कहते संत फकीर।

5-जन्म
मानव अपने जन्म को , नहीं गवांवो व्यर्थ।
कर लो ऐसा कर्म तुम , निकले जिसका अर्थ।।

6-नैन
नैन सखा है हृदय की , समझे उसकी पीर।
हृदय कराहे दर्द से , गिरे नैन से नीर।।

7-नेत्र
धोखा खाता नेत्र भी , कहते संत सुजान।
सोने का मृग देखकर , कर न सके पहचान।।

स्वरचित
कंचन लता चतुर्वेदी
वाराणसी

Sunday 19 April 2020

बचपन


छोटे छोटे पैर हैं , छोटे छोटे हाथ।
लाठी लेकर चल रही , गगरी रख कर माथ।।

दिखने में छोटी लगे , काम करे गम्भीर।
बजा रहे सब तालियां , कोइ न देखे पीर।।

मात-पिता की लाडली , दिखा रही है खेल।
भरती इससे पेट ये , जीवन गर्त ढकेल।।

जिनके हाथों चाहिए , कॉपी कलम दवात।
उनको चिंता भूख की , सता रही दिन- रात।।

छोटी सी ये जान है , करती बड़ा कमाल।
बचपन क्यों मजबूर है , करती लता सवाल।।


Saturday 18 April 2020

दोहे

छूना हो यदि शिखर को,कर पथ का निर्माण।
लक्ष्य भेद कर ही करो,अपना शुरू प्रयाण।।

दीप जले दहलीज पर,भवन खिले हर फूल।
दुख का साया दूर हो,जीवन हो अनुकूल।।

गठरी बाँधो कर्म की,फल की इच्छा त्याग।
कर्म योग निष्काम हो,लगे न कोई दाग।।

अमन दूत का पाठ पढ़,रह हिंसा से दूर।
दया दृष्टि रखना सदा,अगर दिखे मजबूर।।

सोच मिलेगा क्या तुझे,देकर सबको घाव।
मानव तन दुर्लभ मिले, छोड़ कपट का भाव।।

काम क्रोध मद लोभ तज,समझ यही वैराग्य।
पल पल जप श्री राम को,दूर करे दुर्भाग्य।।

मौन खड़ी लेकर तुला,कैसा है ये न्याय।
चलती गाड़ी झूठ की,सत्य खड़ा असहाय।।

दोहा शून्य पर

दिया शून्य इस गणित ने,रखा शून्य का ध्यान।
शून्य बिना बढ़ता नहीं,किसी अंक का मान।।

दोहे


-अनुपम
अनुपम छवि प्रभु राम की , तीर, धनुष हैं हाथ।
धाम छोड़ वन को चले , सीता,लक्ष्मण साथ।।

2-द्रष्टा
राजा हो या रंक हो , सब हैं एक समान।
हरते सबके पीर को , सम द्रष्टा भगवान।।

3-दुर्लभ
बैठे दुर्लभ सब लगे , जाती किस्मत रूठ।
मेहनत कहता है सदा , भाग्य रेख को झूठ।।

दोहा

विपदा में जो साथ दे,समझ वही भगवान।
बैठ भवन चिंतन करो,मित्र शत्रु पहचान।।

Monday 13 April 2020

गजल


एक कोशिश
2122  1212  22

मैं हृदय में उसे बसाता हूँ।
पीर किससे कहूँ छुपाता हूँ।
ऐ खुदा ऐतबार करना तू,
दर्द लिखकर गजल सुनाता हूँ।
जिंदगी ये बिखर गयी ऐसे,
आरजू अब नहीं सजाता हूँ।

Sunday 12 April 2020

कोरोना काल के कुछ दोहे

1
दहल उठे सुनकर सभी , बहुत हुआ संताप।भारत में जब से सुना , कोरोना पदचाप।।
2
मार पड़े जब वक्त की , होता है संताप।
समय बड़ा बलवान है , समझ समय पद चाप।।
3
त्राहि त्राहि है जगत में , जन जन हैं भयभीत।
दूर रहो समुदाय से , कुछ दिन मेरे मीत।।
4
कैसा ये दुर्भाग्य है , सहमा है इंसान।
संकट ये गहरा गया , दूर करो भगवान।।
5
जगदम्बे माँ तुम हरो , जन जन की अब पीर।
दुख छाया घनघोर है , सबके नैनन नीर।।
6
कोरोना के कोप से , मचा हुआ है द्वंद।
बात मान सरकार की , नहीं बनो मतिमंद।।
7
समय बिताओ भवन में , मात-पिता के साथ।
आप संक्रमण से बचो , बार बार धो हाथ।।
8
कोरोना का भय जहाँ , सूनसान हर शाम।
देखो इस ब्रह्मांड में , ठहर गया हर काम।।
9
बीमारी तो विकट है , दिखे न कोई छोर।
कोरोना योद्धा सबल , लगा रहे हैं जोर।।
10
दीप जलाकर तुम भरो , जन जन में उत्साह।
राष्ट्रधर्म सबसे बड़ा , सभी करें निर्वाह।।
11
दीप जले दहलीज पर , भवन खिले हर फूल।
दुख का साया दूर हो , जीवन हो अनुकूल।।
12
दीप जले सद्भाव का, और जले अविराम।
खुशियों की बौछार हो , अब तो सबके धाम।।

कंचन लता चतुर्वेदी
वाराणसी

Thursday 9 April 2020

भ्रूण हत्या पाप है

हत्या भ्रूण की पाप है,इससे बड़ा न पाप।
सुता-सुवन अंतर नहीं,समझो इसको आप।।

रचती है ये सृष्टि को,होती कुल की शान।
ये आँचल की छाँव है,रखती सबका मान।।

तुलसी आँगन की लगे,बेटी शीतल छाँव।
रक्षा करना ईश तुम,कांटा गढ़े न पांव।।
कंचन लता चतुर्वेदी
09/04/2020

Saturday 4 April 2020

दोहे


1-ब्रह्मांड
कोरोना का भय जहाँ, सूनसान हर शाम।
देखो इस ब्रह्मांड में,ठहर गया हर काम।।

2-संक्रमण
समय बिताओ भवन में,मात-पिता के साथ।
आप संक्रमण से बचो,बार बार धो हाथ।।

3-राष्ट्रधर्म
राष्ट्रधर्म का मान रख , रहिये अपने धाम।
कोरोना के दंश का,करिये काम तमाम।।