Monday 27 October 2014
Thursday 23 October 2014
दीपावली पर.....
आप सभी को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं......
गांधी जी का एक ही सपना|
साफ, स्वच्छ देश हो अपना|
आओं साथ उसे भी कर लें,
जो अकेला बैठा कबसे|
सीख चाहिए हमें बड़ों की,
उन सीखो से झोली भर लें|
हम अपने आजाद देश को,
साफ, स्वच्छ और सुंदर कर लें |
जात-पात का भेद मिटाया,
सबको चलना साथ सिखाया|
मोदी ने यह मंत्र सुनाया,
गांधी जी का सपना बतलाया |
गांधी जी का एक ही सपना|
साफ, स्वच्छ देश हो अपना|
आओं साथ उसे भी कर लें,
जो अकेला बैठा कबसे|
सीख चाहिए हमें बड़ों की,
उन सीखो से झोली भर लें|
हम अपने आजाद देश को,
साफ, स्वच्छ और सुंदर कर लें |
जात-पात का भेद मिटाया,
सबको चलना साथ सिखाया|
मोदी ने यह मंत्र सुनाया,
गांधी जी का सपना बतलाया |
Sunday 14 September 2014
हिन्दी दिवस पर...
" निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल |
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल ||"
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल ||"
किसी भी देश में सबसे अधिक लोगों द्वारा बोली एवं समझी जाने वाली भाषा राष्ट्रभाषा होती है | स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारत में 14 सितम्बर 1949
को संविधान में हिन्दी को राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई क्योंकि यही
एक ऐसी भाषा थी जिसने सारे राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधा था | विश्व
के अनेक देशों के विद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है | देश-विदेश में
इसका बढ़ता प्रयोग इसके महत्त्व को सिद्ध कर रहा है | दूरदर्शन पर अनेक
कार्यक्रमों का प्रसारण और हिन्दी रूपांतरण, इंटरनेट पर हिन्दी भाषा की
अनेक साइट्स और ब्लॉग इसके व्यापक प्रयोग को दर्शा रहे हैं | हिन्दी भारत
में अंतर-प्रांतीय व्यवहार के एकमात्र भाषा है | भाषा का जातीय साहित्य रहा
है | कबीर, सूर, तुलसी, मीरा आदि का साहित्य इसके प्रमाण हैं | इसकी जनता में गहरी पैठ है | हिन्दी भाषा केवल राष्ट्र-भाषा ही नहीं बल्कि यह भारत के छ: राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा की राज्यभाषा भी है | भारत में भिन्न-भिन्न
भाषाएँ है और सभी का समृद्ध साहित्य रहा है लेकिन हिन्दी ने अपने विकास
क्रम में सभी राज्यों में अपनी पैठ बनाई और यही एक ऐसी भाषा है जो भारत के
भिन्न-भागों को एकता के सूत्र में पिरोने का काम करती है और इस क्रम में वह राज्यों के किसी भाषा, उपभाषा या बोलियों को हानि भी नहीं पंहुचाती बल्कि उन्हें अपने साथ लेकर चलती है | यही वजह है की हिन्दी में उर्दू, ब्रज, अवधी, राजस्थानी, मारवाड़ी, मराठी, हरियाणवी,
बंगला आदि भाषाओं के शब्द स्थानीय लोगों की बोलचाल में समाहित होते हैं और
यह खड़ी बोली या हिन्दी के शब्द की तरह प्रतीत होते हैं और बहुलता से
प्रयोग किए जाते हैं | इसलिए हम कह सकते हैं :-
" हिन्दी से है राष्ट्र की आशा |
नहीं ये केवल मातृभाषा ||"
नहीं ये केवल मातृभाषा ||"
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