Saturday 30 May 2020

दोहे....राग,अनुराग,वैराग्य

30/ 05/ 2020
1-राग
शब्द गीत लय ताल हो , और समय की माप।
सात सुरों से ही सजे , राग तान आलाप।।

2-अनुराग
चरण कमल प्रभु पादुका , लिए भरत सब त्याग।
राम चरण में ही दिखा , केवट का अनुराग।।

3-वैराग्य
मन में हो वैराग्य सा , समझे जन की पीर।
समझ उसे संसार का , सबसे बड़ा अमीर।।

Thursday 28 May 2020

देवता....28/05/2020


मन मंदिर हो देवता , मृदु वाणी हो फूल।
फैले सदा सुवास बन , स्वयं कर्म अनुकूल।।

पत्थर के ये देवता , रहते हरदम मौन।
कहते मानव कर्म कर , मत पूछो मैं कौन।।

नेक कर्म करना मनुज , करना कभी न भूल।
जिसे देख कर देवता , दूर करे पथ शूल।।

दोहा.....कलयुग


27 मई 2020
कहते हैं कुछ और ही , करते हैं कुछ और।
सोच समझ मन मीत रे , ये कलयुग का दौर।।

Tuesday 26 May 2020

उपहार.......26/05/2029

द्वेष कपट अब हो नहीं , सबके दिल में प्यार।
सेवा भाव उदारता , ये अनुपम उपहार।।

जब मैं होता हूँ व्यथित , करती मुझे दुलार।
दीदी का ये प्यार है , ईश्वर का उपहार।।

Monday 25 May 2020

कुण्डलिया25/05/2020


थकती चिड़िया है नहीं , गाती मीठे गान।
खुश रहती है वो सदा , है छोटी सी जान।
है छोटी सी जान , रोज छप्पर पर आती।
रखे समय का ध्यान,सुबह ही हमें जगाती।
करती दिन भर काम,सूर्य से पहले उठती।
बच्चे करें सवाल,क्यों नहीं चिड़िया थकती।

Sunday 24 May 2020

उत्सव शब्द पर दोहा


24/05/2020
उत्सव तो संगीत है , झूम उठे उर तार।
राधा सुनकर बाँसुरी , गई हृदय से हार।।

Saturday 23 May 2020

कुण्डलिया


यह कैसा मजदूर है , जीवन से मजबूर।
पैदल पैदल जा रहा , जिसका घर है दूर।।
जिसका घर है दूर , घड़ी मुश्किल ये आई।
जाना इसको गाँव , संग बच्चे पितु माई।
क्रंदन करते पुत्र , पिता के पास न पैसा।
है जीवन से जंग , समय आया यह कैसा।।

भक्ति रस


भक्ति भाव हर शब्द में , बहती है रसधार।
तुलसी कृति जो भी पढ़ा , उपजा मन सुविचार।।

श्रद्धा से पत्थर बना ,जन जन का भगवान।
बिन श्रद्धा मिलते नहीं , लाख लगाओ ध्यान।।

भक्ति भाव उर में भरो , करो ईश का ध्यान।
किया न प्रभु गुणगान जो , वो है मरा समान।।

लता पुकारे रात-दिन , कहाँ छुपे प्रभु आप।
सभी घरों में कैद हैं , हर लो अब संताप।।

संकट में हैं ये धरा , कष्ट हरो हनुमान।
सकल जगत अंधेर में , कृपा करो भगवान।।

शृंगार रस


22/05/
मृदु वाणी हो अधर पर , आँखों में हो नेह।
आभूषण हो सत्य का , करे सुशोभित देह।।

एक नार ऐसी दिखी , जिसके नैन विशाल।
चाल चले गज के सदृश , सबको करे निहाल।।


मृग लोचन है मदभरी ,और गुलाबी गाल।
कौन नार, ये सुंदरी , मन में उठे सवाल।।


अनुपम कृति ये प्रकृति है , दूजा नारी रूप।
सृष्टि कहाँ इनके बिना , दोनों रूप अनूप।।

कोमल है ये पुष्प-सी , और नैन में नेह।
लगे अधर सुंदर सुधा , भूषण चमके देह।।


गुनाह

23/05
विधा-दोहा
*****************
मात-पिता के वचन का , करना तुम निर्वाह।
उन चरणों में धाम है , मत कर कभी गुनाह।।

पाक रहे ये जिंदगी , करती हूँ आगाह।
महनत से सब कुछ मिले , करना नहीं गुनाह।।

खुद को मत छोटा समझ , मन में रख उत्साह।
हीन समझना स्वयं को , सबसे बड़ा गुनाह।।

करना नहीं गुनाह तू , पाप-पुण्य पहचान।
बनो न भागी नर्क का , रखो कर्म का ध्यान।।

गलती से ही सीखता , हर कोई इंसान।
बचना मगर गुनाह से , सही गलत पहचान।।

भोला अरु मासूम रह , रखना स्वच्छ निगाह।
दूषित मन करना नहीं , करके कोइ गुनाह।।

ऐसी जगह नहीं जहाँ , होते नहीं गुनाह।
न्याय हमेशा ही मिले , यही मनुज की चाह।।

मंदिर मस्जिद ही नहीं , प्रभु तो है चहुँ ओर।
करता मनुज गुनाह तो , देते दंड कठोर।।

मुझसे नजरें चार कर , मुझको किया तबाह।
प्यार किया था बस उन्हें , फिर क्या किया गुनाह।।

कंचन लता चतुर्वेदी
वाराणसी  (उत्तर प्रदेश)

Friday 22 May 2020

आंसू,गाँव, मजदूर

22/05/2020
1-आँसू
पलकों में आँसू भरे , बनकर गिरते नीर।
कोई समझे नीर है , कोई समझे पीर।।

2-गाँव
बिगड़ी हालत गाँव की , उजड़ गया सब बाग।
नहीं छाँव दिखता कहीं , सूरज उगले आग।।

3-मजदूर
बसी बसाई जिंदगी , छोड़ दिये मजदूर।
जाना इनको गाँव है , अब होकर मजबूर।।


Monday 18 May 2020

दोहे...श्रृंगार, धरती

18/05/2020
कोमल है ये पुष्प-सी , और नैन में नेह।
लगे अधर सुंदर सुधा , भूषण चमके देह।।

धरती के इस जिस्म पर , मैं हूँ एक लिबास।
कोमल कोमल गात है , कहते मुझको घास।।


Saturday 16 May 2020

कुण्डलिया



हिम्मत चिड़िया की गजब ,कभी न मानी हार।
तिनका तिनका जोड़कर,दिया हवा को मार।।
दिया हवा को मार,सफलता हासिल कर ली।
किया विजय का गान,हीय में खुशियाँ भर ली।
रखे समय का ध्यान,बड़ी है इसकी कीमत।
है छोटी सी जान,मगर कितनी है हिम्मत।

दोहे-कर्म ,धर्म,मर्म

16/05/2020/शनिवार
1-कर्म
मानव तन दुर्लभ मिले , मत बनना तू शूल।
यश  फैले निज कर्म से , बनो सुवासित फूल।।

2-धर्म
कर्ज उतारा कर्ण ने , किया धर्म से बैर।
साथ दिया था मित्र का , कर अपनो को गैर।।

3-मर्म
कोयल बैठी मौन है , कौवे करते शोर।
करते बातें मर्म की , बोले वचन कठोर।।


Thursday 14 May 2020

दोहे


बाते करता सत्य की , खुद ही बोले झूठ।
सत्य वचन कड़वा लगे , पल पल जाये रूठ।।

निर्मल उसका नाम है , रखता मन में मैल।
दिखे नहीं संवेदना , लगता उर से शैल।।

Tuesday 12 May 2020

चुनौती...12/05/2020


विकट चुनौती का चलो , ढूंढे कोई तोड़।
जीवन है संघर्ष का , देना मत पथ छोड़।।


जलती लौ-सी जिंदगी , मत जीवन से हार।
पवन चुनौती दे रहा , इसको कर स्वीकार।।

Saturday 9 May 2020

तुलसी,सूर,कबीर

भक्ति भाव रसपूर्ण है , भाषा सरल सुबोध।
रामचरित मानस रचे , करके तुलसी शोध।।

काम क्रोध मद लोभ सब , तज कर तुलसी संत।
रामचरित मानस रचे , महिमा बड़ी अनंत।।

कथा कहे श्री राम की , किये राम से प्रीत।
रामचरित तुलसी रचे , लिए हृदय को जीत।।

जन जन के उर में बसे , तुलसी के श्री राम।
जो भजता श्री राम को , मिलता है सुख धाम।।

तुलसी सूर कबीर जी , तीनो संत सुजान।
भगवन का गुणगान कर , बांटा सबको ज्ञान।।

दोहे संत कबीर के , देते हैं संदेश।
दीपक जलता ज्ञान का , मिटता मन का क्लेश।।

गुरू बड़ा है ईश से , कहते यही कबीर।
ज्ञान ज्योति गुरु से जले , बदले जो तकदीर।।

पाखण्डों को काटते ,  ऐसे संत कबीर।
भेद भाव से मुक्त हो , मगहर तजा शरीर।।

तरुवर खाता फल नहीं , नदी न पीती नीर।
सज्जन तो सद्ज्ञान से , हरते सबके पीर।।
09/05/2020

Friday 8 May 2020

दोहा


मन रूपी संदूक में , यादें रखो समेट।
दुख की घड़ियां छोड़कर , रखना नेह लपेट।।

Thursday 7 May 2020

दोहा


07/05/2020
****************
कैद भरी है जिंदगी , बैठा मनुज उदास।
रास रचा यूं प्रकृति ने , लगता घर वनवास।।

Wednesday 6 May 2020

06/05मन में उठा सवाल

कौन सुखी इस जगत में , मन में उठा सवाल।
देखा राजा रंक तक , सबका इक सा हाल।।

दशरथ जी तो भूप थे , पर था पुत्र वियोग।
तड़प तड़प कर वो मरे , कैसा जीवन भोग।।

देख कथा श्री राम की , छोड़ दिये सुख धाम।
लक्ष्मण,सीता साथ में , वन वन भटके राम।।

सीता माँ थी पतिव्रता , फिर भी लगा कलंक।
जीवन बीता विरह में , गयी धरा के अंक।।

नारी थी इक उर्मिला , छूटा पति का संग 
लौटे चौदह वर्ष पर , बदला जीवन रंग।।

नारी थी इक द्रोपदी , सहे दुखों की आँच।
लाज बचायी कृष्ण ने ,  रहे विवश पति पाँच।।

दोहे06/05

लग जाये यदि लत बुरी , समझ शुरू अवसाद।
एक सुखी इंसान को , कर देता बर्बाद।।

नैन सखा है हृदय की , समझे उसकी पीर।
हृदय कराहे दर्द से , गिरे नैन से नीर।।

गर्दिश के इस दौर में , सकल जगत भयभीत।
मगर न छोड़ो धैर्य को , होगी अपनी जीत।।

माँ को राशन चाहिए , पापा मुझे किताब।
गर चिंता परिवार की , छूना नहीं शराब।।

राशन की चिंता करो , भरता इससे पेट।
छूना नहीं शराब को , पैसा रखो समेट।।

Monday 4 May 2020

दोहे


मन की चोरी कवि करे,धन की करता चोर।
दोनों एक समान हैं, करे न कोई शोर।।

जीवन तो है साधना,मत बैठो तुम हार।
जीवन रूपी नाव फिर, कैसे होगी पार।।

यहाँ सबल अब कौन है,या निर्बल है कौन।
देखे जब हालात तो,बैठी मैं तो मौन।।


अनुशासन से देश का,होता है उद्धार।
कर शासन की पालना,जीवन का शृंगार।।

गठरी बाँधो कर्म की,फल की इच्छा त्याग।
कर्म योग निष्काम हो,लगे न कोई दाग।।

हृदय चीरता तिमिर का,जला जला कर गात।
रखता है शुचि भावना,सहनशील अभिजात।।


Sunday 3 May 2020

दोहागजल


दोहागजल
धरती के श्रृंगार है , इनसे कर लो प्यार।
वृक्षों ने हमको दिया , ये सुंदर संसार।।

पंछी के घर बार है , बरसाते ये मेघ,
बिना मुकुट के भूप हैं , करें प्रकृति शृंगार।

हरे हवा के जहर को , इनसे मिलती श्वांस,
देते हैं बिन लोभ के , करते नित उपकार।

भाव समर्पण का रहे , हर क्षण सेवा,त्याग,
रक्षा करते वृक्ष ये , खुशहाली के द्वार।

साफ करें पर्यावरण , ये जीवन के अंग,
इनके बिन जीवन नहीं , ये जीवन आधार।

इनसे ही भोजन मिले , इनसे बने मकान,
काट रहे क्यों वृक्ष को , करना मनुज विचार।


जय माँ शारदे


जय माँ शारदे🙏🙏
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श्वेत वस्त्र धारण किये , वीणा पुस्तक हाथ।
ज्ञान कोष की स्वामिनी , टेकू द्वारे माथ।।

रहती है बैकुण्ठ में , दिखे कीर्ति चहुँ ओर।
दूर करे अज्ञानता , करें ज्ञान का भोर।।

नमन करूँ माँ शारदे , ऐसा कर उपकार।
ज्ञान ज्योति उर में जले , बढे लेखनी धार।।

वीणा पुस्तक धारणी , हृदय विराजो आप।
मिट जाये अज्ञानता , नहीं रहे संताप।।

Friday 1 May 2020

दोहे


प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा , बढ़े न तन का ताप।
भोग योग पर ध्यान दो , रहकर घर में आप।।

ध्यान लगाओ ईश में , मिटता मन अवसाद।
मन के पाँच विकार तो , कर देते बर्बाद।।