Wednesday 5 February 2020

दोहा मुक्तक


कच्चा धागा प्रेम का,देते पल पल तोड़।
दुर्गम पथ आता जहाँ, लेते मुख फिर मोड़।
सुख-दुख में सम भाव हो,छोड़े कभी न हाथ,
मुश्किल में ताकत बने,रखते बंधन जोड़।
कंचन लता चतुर्वेदी
वाराणसी

No comments:

Post a Comment