Wednesday 21 October 2015

कविता/ ज़िंदगी को पास से देखा

ज़िंदगी को पास से देखा |
हँसते देखा,
रोते देखा,
खोते देखा,
सोते देखा,...

ज़िंदगी को पास से देखा |
मचलते देखा,
तड़पते देखा,
भागते देखा,
रूकते देखा,
ज़िंदगी को पास से देखा |

गुनगुनाते देखा,
थिरकते देखा,
भटकते देखा,
सरकते देखा,
ज़िंदगी को पास से देखा |

 

2 comments:

  1. आप को बहुत-बहुत धन्यवाद.........दीपावली की शुभकामनाये

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  2. बहुत-बहुत धन्यवाद........दीपावली की शुभकामनाये

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