मेरी भावनाएं.../कंचनलता चतुर्वेदी
Thursday, 28 May 2020
देवता....28/05/2020
मन मंदिर हो देवता , मृदु वाणी हो फूल।
फैले सदा सुवास बन , स्वयं कर्म अनुकूल।।
पत्थर के ये देवता , रहते हरदम मौन।
कहते मानव कर्म कर , मत पूछो मैं कौन।।
नेक कर्म करना मनुज , करना कभी न भूल।
जिसे देख कर देवता , दूर करे पथ शूल।।
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