मेरी भावनाएं.../कंचनलता चतुर्वेदी
Monday, 18 May 2020
दोहे...श्रृंगार, धरती
18/05/2020
कोमल है ये पुष्प-सी , और नैन में नेह।
लगे अधर सुंदर सुधा , भूषण चमके देह।।
धरती के इस जिस्म पर , मैं हूँ एक लिबास।
कोमल कोमल गात है , कहते मुझको घास।।
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