भक्ति भाव हर शब्द में , बहती है रसधार।
तुलसी कृति जो भी पढ़ा , उपजा मन सुविचार।।
श्रद्धा से पत्थर बना ,जन जन का भगवान।
बिन श्रद्धा मिलते नहीं , लाख लगाओ ध्यान।।
भक्ति भाव उर में भरो , करो ईश का ध्यान।
किया न प्रभु गुणगान जो , वो है मरा समान।।
लता पुकारे रात-दिन , कहाँ छुपे प्रभु आप।
सभी घरों में कैद हैं , हर लो अब संताप।।
संकट में हैं ये धरा , कष्ट हरो हनुमान।
सकल जगत अंधेर में , कृपा करो भगवान।।
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