मेरी भावनाएं.../कंचनलता चतुर्वेदी
Friday, 22 May 2020
आंसू,गाँव, मजदूर
22/05/2020
1-आँसू
पलकों में आँसू भरे , बनकर गिरते नीर।
कोई समझे नीर है , कोई समझे पीर।।
2-गाँव
बिगड़ी हालत गाँव की , उजड़ गया सब बाग।
नहीं छाँव दिखता कहीं , सूरज उगले आग।।
3-मजदूर
बसी बसाई जिंदगी , छोड़ दिये मजदूर।
जाना इनको गाँव है , अब होकर मजबूर।।
1 comment:
मन की वीणा
25 May 2020 at 14:21
बहुत सुंदर सार्थक दोहे ।
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बहुत सुंदर सार्थक दोहे ।
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