Saturday, 23 May 2020

कुण्डलिया


यह कैसा मजदूर है , जीवन से मजबूर।
पैदल पैदल जा रहा , जिसका घर है दूर।।
जिसका घर है दूर , घड़ी मुश्किल ये आई।
जाना इसको गाँव , संग बच्चे पितु माई।
क्रंदन करते पुत्र , पिता के पास न पैसा।
है जीवन से जंग , समय आया यह कैसा।।

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