Saturday, 16 May 2020

दोहे-कर्म ,धर्म,मर्म

16/05/2020/शनिवार
1-कर्म
मानव तन दुर्लभ मिले , मत बनना तू शूल।
यश  फैले निज कर्म से , बनो सुवासित फूल।।

2-धर्म
कर्ज उतारा कर्ण ने , किया धर्म से बैर।
साथ दिया था मित्र का , कर अपनो को गैर।।

3-मर्म
कोयल बैठी मौन है , कौवे करते शोर।
करते बातें मर्म की , बोले वचन कठोर।।


2 comments:


  1. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    17/05/2020 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर दोहे...

    ReplyDelete