Saturday, 6 July 2013

क्यों ? क्यों ? क्यों ?



    मै चुप हूँ, क्यों ? क्योंकि मैं दर्द से व्याकुल हूँ | घुटन हो रही है, मैं दर्द का बयाँ किससे करूं | क्यों करूं ? मेरे लिए चुप रहना क्यों बहुत अहम है ? क्योंकि अपना दर्द बयाँ करते हुए डर लगता है | यदि मैं ईश्वर से कहूँ तो , ईश्वर सर्वव्यापक है उनसे कहने की जरूरत ही क्या है | वह सब देख रहा है | फिर ऐसी लीला क्यों ? यदि मैं इंसान से कहूँ तो क्यों ? जो संवेदनहीन हो गया, अपनी मानवता को खो चुका है और दरिंदगी को अपना लिया है | इससे तो अच्छा है मैं चुप ही रहूँ लेकिन ये आंसुओ का सैलाब जो मेरे नेत्र से निकल रहे हैं | इसे कैसे बंद करूं या उस इंसानियत को खोजने की कोशिश करूं जो कहीं खो गयी है | नही मुझे अब इंसानियत में भी खोट नजर आ रही है | सत्य में भी असत्य की झलक महसूस हो रही है | ये मैं क्यों कह रही हूँ क्योंकि मैं भी सशंकित हूँ | क्या सत्य है क्या असत्य है, मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है |
                                   - समाज में व्याप्त इंसान की संवेदनहीनता के लिए   

8 comments:

  1. मन की पीड़ा, जीवन-संशय से जूझते जीवन की छटपटाहट।

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  2. बहुत ही सटीक मन की व्याकुलता का चित्रण,आभार।

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  3. कई बार तो खामोशी ही बहुत जोर से गूंजती है.

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  4. ईश्वर और दरिंदों के बीच भी कई लोग हैं.....
    कोई तो होगा अपना...एक निस्वार्थ प्रेमी...खोजिये...
    मगर चुप न रहिये....कहिये...ज़रूर कहिये..खुश रहिये...

    अनु

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  5. अनु जी की बात से पूर्णतः सहमत हूं...कहना चाहिए है...खुश रहने के लिए ज़रूरी है।

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  6. अनु जी और पारुल जी, ये मेरे मन की भावना पारिवारिक या व्यक्तिगत नहीं है बल्कि समाज में व्याप्त इंसान की संवेदनहीनता के लिए हैं जो उत्तराखंड या अन्य स्थानों पर अक्सर दिखाई देती है...रही बात एक निस्वार्थ प्रेमी की, तो वो मेरे पति हैं और मैं उनके और अपने दो बच्चों के साथ खुश हूँ...

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    1. कंचन जी आपके पाठक भी समझदार हैं....हमारी टिप्पणी आपको व्यक्तिगत रूप से नहीं की गयी है...
      यहाँ निस्वार्थ प्रेमी कोई भी हो सकता है जिसे मानवता से प्यार है, जो प्रकृति को चाहता है..जो संवेदनशील है....
      आप बिना वजह offensive हो रही हैं.रचनाएं व्यक्तिगत नहीं होती हैं सब जानते हैं....

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  7. रहिमन निज मन की व्यथा मन ही राखो गोय
    सुन अठिलैहै लोग सब बाट न लैहै कोय

    ऐसी ही उक्ति कही जाती है

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