Monday 9 December 2019

कुण्डलिया

कुण्डलिया
जागो अब रजनी गयी,भर लो मन में जोश।
आलस को तुम मात दो,मत खोवो तुम होश।।
मत खोवो तुम होश, समय की कर रखवारी।
नहीं रहे लाचार, फले जीवन की क्यारी।।
मान लता की बात,नहीं श्रम से तुम भागो।
यही समय है चेत,सुबह अब तुम नित जागो।।

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