Monday 9 December 2019

बालश्रम पर कुछ दोहे

1-बचपन से ये दूर है,बन बैठे मजदूर।
लाचारी ये पेट की,करती हैं मजबूर।।
2-जिन हाथों में चाहिए,पुस्तक कलम दवात।
वो गारो में सन रहा,कैसे ये हालात।।
3-होते ईश स्वरूप जो,क्यो इतने मजबूर।
श्रम शोषण से ये बचे,नहीं बने मजदूर।।

No comments:

Post a Comment