Sunday 12 April 2020

कोरोना काल के कुछ दोहे

1
दहल उठे सुनकर सभी , बहुत हुआ संताप।भारत में जब से सुना , कोरोना पदचाप।।
2
मार पड़े जब वक्त की , होता है संताप।
समय बड़ा बलवान है , समझ समय पद चाप।।
3
त्राहि त्राहि है जगत में , जन जन हैं भयभीत।
दूर रहो समुदाय से , कुछ दिन मेरे मीत।।
4
कैसा ये दुर्भाग्य है , सहमा है इंसान।
संकट ये गहरा गया , दूर करो भगवान।।
5
जगदम्बे माँ तुम हरो , जन जन की अब पीर।
दुख छाया घनघोर है , सबके नैनन नीर।।
6
कोरोना के कोप से , मचा हुआ है द्वंद।
बात मान सरकार की , नहीं बनो मतिमंद।।
7
समय बिताओ भवन में , मात-पिता के साथ।
आप संक्रमण से बचो , बार बार धो हाथ।।
8
कोरोना का भय जहाँ , सूनसान हर शाम।
देखो इस ब्रह्मांड में , ठहर गया हर काम।।
9
बीमारी तो विकट है , दिखे न कोई छोर।
कोरोना योद्धा सबल , लगा रहे हैं जोर।।
10
दीप जलाकर तुम भरो , जन जन में उत्साह।
राष्ट्रधर्म सबसे बड़ा , सभी करें निर्वाह।।
11
दीप जले दहलीज पर , भवन खिले हर फूल।
दुख का साया दूर हो , जीवन हो अनुकूल।।
12
दीप जले सद्भाव का, और जले अविराम।
खुशियों की बौछार हो , अब तो सबके धाम।।

कंचन लता चतुर्वेदी
वाराणसी

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