Saturday, 18 April 2020

दोहे

छूना हो यदि शिखर को,कर पथ का निर्माण।
लक्ष्य भेद कर ही करो,अपना शुरू प्रयाण।।

दीप जले दहलीज पर,भवन खिले हर फूल।
दुख का साया दूर हो,जीवन हो अनुकूल।।

गठरी बाँधो कर्म की,फल की इच्छा त्याग।
कर्म योग निष्काम हो,लगे न कोई दाग।।

अमन दूत का पाठ पढ़,रह हिंसा से दूर।
दया दृष्टि रखना सदा,अगर दिखे मजबूर।।

सोच मिलेगा क्या तुझे,देकर सबको घाव।
मानव तन दुर्लभ मिले, छोड़ कपट का भाव।।

काम क्रोध मद लोभ तज,समझ यही वैराग्य।
पल पल जप श्री राम को,दूर करे दुर्भाग्य।।

मौन खड़ी लेकर तुला,कैसा है ये न्याय।
चलती गाड़ी झूठ की,सत्य खड़ा असहाय।।

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