मेरी भावनाएं.../कंचनलता चतुर्वेदी
Wednesday, 18 December 2019
दर्पण पर दोहा
अपना मन दर्पण बना,जमे न इस पे धूल।
समझो जीवन मोल को,करना कभी न भूल।।
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