प्रदत्त विषय-लेखनी, गुणगान,कविता चोर
1-विनती सुन माँ शारदे,करती मैं गुणगान।
नवल सृजन करती रहूँ, ऐसा दो वरदान।।
2-सही लेखनी खुद करे,सच की थामे डोर।
सुनने को गुणगान वो,बनते कविता चोर।।
3-तुम झूठा गुणगान सुन,मत हो भाव विभोर।
सफल करो खुद लेखनी,बनो न कविता चोर।।
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