Tuesday, 10 December 2019

कुण्डलिया


कुण्डलिया
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लाली छाई गगन में,दिनकर किरणें संग।
सजी घाट पर आरती,मन भावन है रंग।।
मन भावन है रंग,नैन सूरज जब खोले।
हुई सुहानी भोर,पवन शीतल फिर डोले।
सभी खड़े कर जोर,आरती की ले थाली।
कंचन देती अर्घ,देख सूरज की लाली।।

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