दिनांक-24/12/2019
मंगलवार
श्रद्धेय बलवीर सिंह रंग जी को समर्पित..
आयोजन गीत रंग महोत्सव-54
दोहा गीत
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पंछी होती मैं अगर , गाती मीठे गीत।
लोभ-द्वेष से दूर हो , करती सबसे प्रीत।।
चीं चीं चूं चूं गा रही , ऊपर बैठ मुंडेर,
सुबह जगाती है हमें , तनिक न करती देर।
छोटी है पर सीख दे , रखे समय का ध्यान,
समय लौट आता नहीं , समझो रे नादान।
लोभ-द्वेष से दूर हो , करती सबसे प्रीत।
रखती ऐसी भावना , बनती मन का मीत।
चिड़िया थकती है नहीं , गाती मीठी गान,
खुश रहती है वो सदा , है छोटी- सी जान।
खान-पान निर्मल रहे , शुद्ध हवा औ धूप,
बना रहे जब हौसला , तब निखरेगा रूप।
परहित सोचे हम सभी , सोचे हार न जीत।
लोभ-द्वेष से दूर हो , करे सभी से प्रीत।
हिम्मत उसमे गजब की , कभी न मानी हार,
तिनका तिनका जोड़ कर , दिया हवा को मार।
हासिल कर जब लक्ष्य को , किया विजय का गान,
देख हौसला सब करे , जज्बे का सम्मान।
नभ के आँगन में उडू., होकर मैं बिंदास।
जाना नभ के छोर पर , मन में ले विश्वास।
कंचन लता चतुर्वेदी
वाराणसी
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