मेरी भावनाएं.../कंचनलता चतुर्वेदी
Tuesday, 10 December 2019
दोहा
धूप बहुत है राह में,जलती हुई जमीन।
फँसे हुए हैं भीड़ में,लेकर स्वप्न नवीन।।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment