आशा सदा हमारे साथ है। दुखमय संसार में
आशा ही वह चीज हैं जिसके बल पर मनुष्य जीता हैं।हम दुख सहते हैं, कष्ट
झेलते हैं, मुसीबतो का सामना करते हैं, इसी आशा पर कि एक दिन सुख आयेगा।
यही आशा हमारी जिन्दगी हैं। जिस दिन वह साथ छोड देगी उस दिन हम दुनिया का
साथ छोड देगे। ईश्वर ने जब विश्व की रचना की तो उन्होने दुख के समय मनुष्य
को ढाढस बँधाने के लिए अपनी प्रिय पुत्री आशा को भेज दिया। संसार में कोई
भी सुखी नही हैं। सभी सुख की खोज में हैं, पर आज तक किसी ने उस वस्तु को
पाया नही। सभी को किसी न किसी वस्तु की कमी खटकती रहती हैं- राजा हो या
रंक। किसी को रूपये की चिन्ता हैं तो किसी को पुत्र की। किसी को रोग की
चिन्ता हैं तो किसी को राजपाट की। चिन्ता-विहीन कोई नही हैं। हर कष्ट सहते
हुए भी हम जीना चाहते हैं क्योंकि आशा सदा हमारे साथ हैं। आशा से अलग होकर
हममें वह शक्ति नही रह जाती कि हम दुनिया की वास्तविकता का मुकाबला कर सके।
जब हम परेशान होते हैं,आशा हमें धीरज बँधाती हैं, जब हम निरुत्साहित होने
लगते हैं, आशा हमें उत्साहित करती हैं। आशा जिस दिन दुनिया से रूठ जायेगी,
दुनिया मनुष्यों से खाली हो जायेगी । आशा से ही मनुष्य कष्ट्मय दुनिया में
रहकर भी सुख का अनुभव करता हैं। आशा कहती हैं अतीत से सबक लो और भविष्य के
लिए तैयारी करो।आशा का प्रबल शत्रु निराशा हैं। आशा और निराशा
के बीच सदियों से द्वन्द्व चलता रहा हैं। आशा प्रकाश हैं तो निराशा
अंधकार। आशा मनुष्य को भविष्य का सपना दिखलाकर वर्तमान तथा अतीत की चिन्ता
से दूर ले जाती हैं तो निराशा मनुष्य को चिन्ता के गड्ढे में ढकेल देती हैं
फिर भी निराशा के बीच मनुष्य को जीने की शक्ति आशा ही देती हैं। मनुष्य के
जीवन में आशा ही एकमात्र प्रकाश हैं जिससे वह आगे बढता जाता हैं।
6 comments:
- Aaj pahlee baar aayee hun..aur ye rachna padhne kee sakht zaroorat thee..! Shukriya..!Reply
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http://shama-kahanee.blogspot.com - yah asha hi hai jo hame mahanata ke shikhar tak le jati hai..nahi to ham manushy kuch bhi na kar paye..Reply
asha aur ummid is duniya me bahut hi badi cheez hai..
achcha post likha aapne..badhayi..
कंचनलता चतुर्वेदी जी!
आशावाद का पथ दिखलाता आपका लेख समीचीन है।
बधाई।