Wednesday 8 January 2020

कौआ और कोयल

जय माँ शारदे
दोहा
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कौआ कोयल परख ले ,आप तराजू तोल।
कोयल गाती है मधुर,बाजे मन में ढोल।।

कौआ करता शोर है , बोले कर्कश बोल।
वाणी के हैं मायने , समझो इसका मोल।।

शीश झुका कर क्या घटा , मिलता सबका मान।
जग में कर्म प्रधान है , काहे को अभिमान।।

कंचन लता चतुर्वेदी
वाराणसी

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