जय माँ शारदे
दोहा
**********************
कौआ कोयल परख ले ,आप तराजू तोल।
कोयल गाती है मधुर,बाजे मन में ढोल।।
कौआ करता शोर है , बोले कर्कश बोल।
वाणी के हैं मायने , समझो इसका मोल।।
शीश झुका कर क्या घटा , मिलता सबका मान।
जग में कर्म प्रधान है , काहे को अभिमान।।
कंचन लता चतुर्वेदी
वाराणसी
No comments:
Post a Comment