मेरी भावनाएं.../कंचनलता चतुर्वेदी
Saturday, 25 January 2020
मुक्तक
मुक्तक
2122 2122 2122
सुन भ्रमर रे अब सताना छोड़ दे तू।
गीत गाकर अब लुभाना छोड़ दे तू।
गैर पर अब हक जताना ठीक है क्या,
राज दिल का अब सुनाना छोड़ दे तू।
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