Friday 17 January 2020

दोहा गीत

जय माँ शारदे
दोहा गीत
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कहता मन भौरा बनूं , गाऊँ मीठे गीत।
बांटू सबको प्रेम रस , बनूं सभी का मीत।

कली-कली मँडरा रहा , और सुनाता गीत,
हँसने लगते फूल तब , देख मधुप की प्रीत।
कलियाँ मेरी दोस्त हैं , फूलो से हैं प्यार,
बहिनें मेरी तितलियाँ , मैं हूँ पहरेदार।

तन से काला वो दिखे , पर उजली है प्रीत।
कहता मन भौरा बनूं , गाऊँ मीठे गीत।

उपवन उपवन घूमता , सदा लुटाता नेह,
सच्चा प्रेमी मधुप है , करो नही सन्देह।
रूप रंग गुण अलग है , रहता फूलों संग,
नेह लुटाता ये मधुप , चूम चूम ये अंग।

समझो रे मन बावरा , कैसी जग की रीत।
कहता मन भौरा बनूं , गाऊँ मीठे गीत।

गुन गुन गाये गीत वो, मन का भेद मिटाय,
भौरा कहता प्रीत कर , प्रेम-सुधा बरसाय।
जगत करम का खेत है , जो बोए सो पाय,
 प्रेम भाव से सींच ले , नाही तो पछताय।

अपनेपन का लोप है , रिश्ते कहाँ पुनीत।
कहता मन भौरा बनूं , गाऊँ मीठे गीत ।


4 comments:


  1. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    19/01/2020 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  2. बहुत बढ़िया

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  3. वाह!!!
    बहुत लाजवाब...

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