Saturday 9 May 2020

तुलसी,सूर,कबीर

भक्ति भाव रसपूर्ण है , भाषा सरल सुबोध।
रामचरित मानस रचे , करके तुलसी शोध।।

काम क्रोध मद लोभ सब , तज कर तुलसी संत।
रामचरित मानस रचे , महिमा बड़ी अनंत।।

कथा कहे श्री राम की , किये राम से प्रीत।
रामचरित तुलसी रचे , लिए हृदय को जीत।।

जन जन के उर में बसे , तुलसी के श्री राम।
जो भजता श्री राम को , मिलता है सुख धाम।।

तुलसी सूर कबीर जी , तीनो संत सुजान।
भगवन का गुणगान कर , बांटा सबको ज्ञान।।

दोहे संत कबीर के , देते हैं संदेश।
दीपक जलता ज्ञान का , मिटता मन का क्लेश।।

गुरू बड़ा है ईश से , कहते यही कबीर।
ज्ञान ज्योति गुरु से जले , बदले जो तकदीर।।

पाखण्डों को काटते ,  ऐसे संत कबीर।
भेद भाव से मुक्त हो , मगहर तजा शरीर।।

तरुवर खाता फल नहीं , नदी न पीती नीर।
सज्जन तो सद्ज्ञान से , हरते सबके पीर।।
09/05/2020

2 comments:


  1. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    10/05/2020 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  2. वाह!!!
    लाजवाब...

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