20/08/
प्रदत्त शब्द-जल हल कल
मुक्तक
नीर नहीं तो कैसा कल है।
जीवन तब जब भू पर जल है।
नीर बचाना सीखो मानव,
जल संरक्षण इसका हल है।
धरती पर जब जल बिखरेगा।
बोलो कल कैसे निखरेगा।
नीर बचाओ तो जीवन है,
इस हल से जीवन संवरेगा।
जल बिन कैसे कल पाओगे।
अपनी प्यास बुझा पाओगे।
नीर बचे कैसे अब सोचो,
सोच लिया तो हल पाओगे।
आकर बादल प्यास बुझाते।
धरती के मन को सहलाते।
जीव जंतु भी खुश हो जाते,
यूं खुशियों की राह सजाते।
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