मेरी भावनाएं.../कंचनलता चतुर्वेदी
Monday, 9 December 2019
कुण्डलिया
कुण्डलिया
जिसका पेट भरा नहीं,बन बैठा मजदूर।
चिंता उसको भूख की,करती हैं मजबूर।।
करती है मजबूर पेट की है लाचारी।
नहीं खर्च को दाम फैली बेरोजगारी।।
जनसंख्या का वार घातक परिणाम इसका।
फिरता वो लाचार पेट भरता नहि जिसका।।
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