मेरी भावनाएं.../कंचनलता चतुर्वेदी
Monday, 9 December 2019
कुछ दोहे
दहशत में हैं बेटियां , कौन बचावे लाज।
ये कानून अपंग है , रोवे बेटी आज।।
हो देवी तुम न्याय की , क्यों बैठी हो मौन।
धरा त्रस्त है पाप से , इसको रोके कौन।।
आज शब्द भी मौन है , क्यों बेटी लाचार।
मरी पड़ी संवेदना , नहीं नेक व्यवहार।।
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