Monday, 9 December 2019

विषय-मित्रता

मित्र वही जो साथ निभावे।
डूबी नैया पार लगावे।।
मित्र अगर हो अवसरवादी।
करता जीवन की बरवादी।।

साथी से ही जीवन चहके।
जीवन बगिया उससे महके।।
लाता जीवन में हरियाली।
विखरे ज्यों सबेर की लाली।।

धर्म जाति का भेद न करता।
सच्चा साथी बनकर रहता।।
जैसे हो वैसे अपनाता।
असली मित्र वही कहलाता।।

साया बनकर साथ निभावे।
मुश्किल में ताकत बन जावे।।
हर रिश्तों से ऊपर होता।
गंगा जल-सा पावन होता।।

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