सबसे प्यारी जग से न्यारी,
खुशियां देती हमको सारी।
माँ का आँचल है फुलवारी,
खुशियों की रहती किलकारी।
बिन लोरी रोया करती थी,
पलके ना सोया करती थी।
मेरी माँ का रूप सलोना,
मैं हूँ माँ का असली सोना।
माँ दुनियां में सबसे न्यारी,
सींचा करती जीवन क्यारी।
चलना खाना हमें सिखाती,
मंजिल पर हमको पहुंचाती।
हम छंद अगर वो कविता है,
हम लव-कुश तो वह सीता है।
छाया बनकर साथ निभाती,
सबके मन को हैं वो भाती।
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